Leech Therapy : गैंगरीन, माइग्रेन, नसों की तकलीफ को दूर करने में आती है काम, आयुर्वेद तरीके से किया जाता है ईलाज

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Leech Therapy : गैंगरीन, माइग्रेन, नसों की तकलीफ को दूर करने में आती है काम, आयुर्वेद तरीके से किया जाता है ईलाज

Leech Therapy : गैंगरीन, माइग्रेन, नसों की तकलीफ को दूर करने में आती है काम, आयुर्वेद तरीके से किया जाता है ईलाज

Leech Therapy : आयुर्वेद में लीच या जोंक थेरेपी एक ऐसी पद्धति है जिसमें बहुत सी गंभीर बीमारियों का ईलाज आयुर्वेद चिकित्सकों द्वारा किया जाता है। जोंक थेरेपी आयुर्वेद की बहुत ही पुरानी पद्धति है। देश के कई हिस्सों में बहुत ही कारगर तरीके से इस पद्धति से चिकित्सकों द्वारा गंभीर बीमारियों का ईलाज किया जाता है। नसों की ब्लॉकेज, गैंगरीन और माइग्रेन की बीमारी में विशेष रूप से जोंक पद्धति तरीके से मरीजों का ईलाज किया जाता है। शासकीय आयुर्वेद कॉलेज रीवा मप्र में प्राचार्य के पद पर पदस्थ डा. दीपक कुलश्रेश्ठ द्वारा हमें जोंक पद्धति के बारे में विस्तार से बताते हुए इसकी उपयोगिता के बारे में जानकारी दी गई। साथ ही यह भी बताया कि किन बीमारियों के ईलाज में इसका उपयोग किया जाता है।

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Leech Therapy : गैंगरीन, माइग्रेन, नसों की तकलीफ को दूर करने में आती है काम, आयुर्वेद तरीके से किया जाता है ईलाज
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डायबिटीज

Leech Therapy : डायबिटीज की बीमारी से पीड़ित मरीज का शुगर लेबल बढ़ा रहता है। जब व्यक्ति के ब्लड में शुगर लेबल काफी लंबे समय तक बढ़ा रहता है तो यह समस्या गैंगरीन का रूप धारण कर लेती है। अस्पतालों के बेड में गैंगरीन से पीड़ित मरीज दिखाई आसानी से दिखाई दे जाएंगे। गैंगरीन से प्रभावित व्यक्ति को अत्यधिक पीड़ा तो होती ही है साथ ही मरीज को असहनीय परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसमें होता यह है कि व्यक्ति के शरीर का एक पार्ट गलने लगता है उसमें मवाद बन जाती है। अधिकतर मामलों में पैर में गैंगरीन की समस्या सबसे अधिक देखने को मिलती है। काफी ईलाज के बाद भी यह ठीक नहीं होता। ऐसे में जोंक पद्धति से गैंगरीन का ईलाज चिकित्सकों द्वारा किया जाता है। आयुर्वेद अस्पताल रीवा में ऐसे कई मरीजों का ईलाज किया गया है जो कि गैंगरीन से पीड़ित थे।

आधा सिर दर्द

Leech Therapy : आधा सिर दर्द की बीमारी बहुत से लोगों मे देखने को मिल रही है। इसमें होता यह है कि मरीज के आधे सिर में दर्द बना ही रहता है। मेडिकल की भाषा में आधे सिर दर्द को माइग्रेन कहा जाता है। ऐसा देखने में आया है कि महिलाओं में माइग्रेन की बीमारी सबसे अधिक होती है। आयुर्वेद की लीच थेरेपी के माध्यम से माइग्रेन की बीमारी को ठीक किया जाता है।

पैरालिसिस

Leech Therapy : पैरालिसिस या लकवा की बीमारी के ईलाज में भी जोंक पद्धति का उपयोग मरीज को ठीक करने में किया जाता है। विशेशज्ञों की माने तो जब किसी व्यक्ति को पैरालिसिस हो जाता या आधे षरीर का अंग लकवे के कारण प्रभावित हो जाता है तो ऐसे में लीच थेरेपी से काफी फायदा होता है। यहां यह बताना जरूरी है कि लकवा में मरीज का आधा अंग काम करना बंद कर देता है। अस्पताल आने वाले मरीजों में कई मरीज लकवा से प्रभावित होते हैं। लीच थेरेपी से मरीजों का ईलाज कर उन्हें स्वस्थ्य किया जाता है।


Leech Therapy : गैंगरीन, माइग्रेन, नसों की तकलीफ को दूर करने में आती है काम, आयुर्वेद तरीके से किया जाता है ईलाज

ब्लड को करता है शुद्ध

Leech Therapy : कई व्यक्ति ऐसे होते हैं जिनका ब्लड सर्कुलेशन सही नहीं रहता या ब्लड शुद्ध नहीं होता। ऐसे मरीजों को नस की प्राब्लम सबसे अधिक देखने को मिलती है। नसों में रूकावट होने की समस्या होने पर मरीज को काफी दिक्कत होती है। ऐसे मरीजों का ब्लड षुद्ध करने और नसों की रूकावट को दूर करने का काम लीच थेरेपी के माध्यम से किया जाता है।

ट्यूमर

Leech Therapy : कुछ मरीजों में ट्रयूमर हो जाता है। ये ट्रयूमर कैंसर वाले नहीं होते। लेकिन मरीज को इन ट्रयूमर के कारण काफी परेशानी होती है। ऐसे में जोंक थेरेपी के माध्यम से ट्रयूमर की समस्या को दूर किया जाता है।

स्किन डिजीज

Leech Therapy : स्किन डिजीज की समस्या को दूर करने में लीच थेरेपी काफी फायदेमंद होती है। स्किन डिजीज होने पर चेहरे में लालिमा हो जाती है, कुछ लोगों में तो लालिमा के साथ ही मवाद भी बन जाता है। इन मरीजों को एक बार लीच थेरेपी का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए। इसके माध्यम से स्किन डिजीज की समस्या को दूर किया जा सकता है।

एक मरीज के लिए एक जांक

Leech Therapy : एक मरीज के लिए एक ही लीच का उपयोग बीमारी को दूर करने में किया जाता है। एक बार उपयोग होने पर दूसरी बार जब मरीज आएगा तो उसी लीच के द्वारा फिर से मरीज का ईलाज किया जाएगा। मरीज की बीमारी के आधार पर चिकित्सक एक सप्ताह में दो बार लीच थेरेपी के लिए बुला सकता है।

कैसे होता है ईलाज

Leech Therapy : लीच में हेरोडिल सलाइवा पाया जाता है। यह सलाइवा ब्लड को प्यूरीफाई करने का काम करता है। इससे मरीज का फायदा होता है। यहां यह बताना जरूरी है कि लीच भी दो प्रकार की होती है। एक विषैली और दूसरी बिना विषैली। आयुर्वेद में बिना विषैली लीच का उपयोग मरीजों के ईलाज के लिए किया जाता है।

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Declamer : हमारे लेखों में साझा की गई जानकारी केवल इंफॉमेंशनल उद्देश्यों से शेयर की जा रही है। इन्हें डॉक्टर की सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए। किसी भी बीमारीयां विशिष्ट हेल्थ कंडीशन के लिए स्पेशलिस्ट से परामर्श लेना अनिवार्य होना चाहिए। डॉक्टर या एक्सपर्ट की सलाह के आधार पर ही इलाज की प्रक्रिया शुरू की जानी चाहिए।
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