health benefits of sarson ka saag winter season : ठंड के मौसम में सरसों के साग की डिमांड सबसे अधिक रहती है। पंजाब मे ंतो सरसों का साग और मक्के की रोटी का स्वाद ही अलग होता है। पंजाबियों के साथ ही भारत के अधिकतर लोगों की यह फेवरेट डिस होती है। इसकी सबसे खास बात यह है कि यह खाने में जितना स्वादिश्ट होता है उतना ही सेहत के लिए भी यह काफी फायदेमंद होता है।

सरसों के साग (sarson ka saag) में कैल्सियम और पोटैशियम भरपूर मात्रा में पाया जाता है। यह तो सभी को पता है कि कैल्सियम से हडिडयां मजबूत होती है। लेकिन सरसों के साग में कैल्सियम पाया जाता है यह सबको नहीं पता है। इसीलिए अगर आप हडिडयों को मजबूत करना चाहते हैं और स्वाद भी चाहते हैं तो सरसों का साग आपके लिए उपयोगी साबित हो सकता है। अपनी सब्जी में इसे जरूर शामिल करे।
हार्ट को रखता है हेल्दी
sarson ka saag : बढती उम्र के साथ लोगों में हार्ट की समस्या सबसे अधिक देखने को मिलती है। हार्ट की समस्या होने के कई कारण हो सकते हैं। लेकिन जरूरी नहीं है कि आप हार्ट की समस्या को दूर करने के लिए चिकित्सक के पास ही जाएं। बीमारी से ज्यादा सावधानी होती है। अगर आप चाहते हैं कि आपको हार्ट की समस्या न हो और आपको चिकित्सकों के पास न जाना पडे इसके लिए सबसे अच्छा है कि आप पहले से ही अपने हार्ट का ध्यान रखना शुरू कर दीजिए। इसमें सरसों का साग (sarson ka saag) काफी मददगार साबित हो सकता है। सरसों के साग में फोलेट पाया जाता है जो कि दिल की सेहत के लिए अच्छा होता है। विशेशज्ञों की माने तो फोलेट व्यक्ति के कोलेस्ट्राल को कम किया जा सकता है। कोलेस्ट्राल कम होने से हार्ट स्वस्थ्य रहता है।
वजन करता है कम
sarson ka saag : सरसां के साग में फाइबर पाया जाता है। फाइबर व्यक्ति के मेटाबॉलिज्म को ठीक रखता है। मेटाबालिज्म सही रहने से व्यक्ति का जो भी खाता है वह पच जाता है। इससे शरीर में एनर्जी बनी रहती है। समस्या केवल यह है कि जब व्यक्ति का खाना नहीं पचता तो उसे पेट की बीमारी हो जाती है। जब मेटाबालिज्म सही रहता है तो व्यक्ति का वजन नियंत्रित रहता है।
टॉक्सिक पदार्थ को निकालता है बाहर
sarson ka saag : सरसों के साग में सल्फर और एंटी ऑक्सीडेंट पाया जाता है। सरसों में पाया जाने वाले ये तत्व शरीर के टॉक्सिक पदार्थ को बाहर निकालने में मदद करते हैं। जब शरीर के विशाक्त पदार्थ बाहर निकल जाते हैं तो व्यक्ति कई बीमारियों से बच सकता है। इसीलिए टॉक्सिक पदार्थ को बाहर निकालने में भी सरसों के साग का अहम रोल है।