Exam Fobia : परीक्षा और रिजल्ट का डर, कहीं आपका बेटा तो नहीं हो गया है एग्जाम फोबिया (Exam Fobia ) का शिकार जानिए क्या है लक्षण और उपचार
What Is Exam fobia : इस समय स्कूलों में परीक्षा चल रही है। कुछ दिनों में परीक्षा समाप्त हो जाएगी। परीक्षा और उसके बाद परीक्षा परिणाम को लेकर छात्रों को किसी न किसी प्रकार का डर जरूर होता है। परीक्षा के डर को एग्जाम फोबिया (Exam Fobia) या एग्जामोनो फोबिया कहा जाता है। परीक्षा के बाद रिजल्ट का डर छात्रों को प्रभावित करता है। किसी भी प्रकार का डर अगर लोगों को हद से ज्यादा प्रभावित करने लगे तो इसे फोबिया कहा जाता है। कई बार तो यह डर काल्पनिक होता है। इसीलिए इस डर को काबू करना जरूरी होता है। नही तो इसके नकरात्मक परिणाम सामने देखने को मिलते हैं। कई बार तो छात्रों के मन में असफलता का डर इतना अधिक बैठ जाता है कि वज आत्महत्या तक कर लेते हैं। इस लेख के माध्यम से हम आपको बताएंगे कि एग्जाम या परिणाम फोबिया (Exam Fobia) क्या होता है, इसके लक्षण क्या है और किस प्रकार से इससे बचा जा सकता है।
क्यों होता है परीक्षा और रिजल्ट का डर
Reason Of Exam Fobia – सामान्य तौर पर परीक्षा का डर होना कोई चिंता की बात नहीं है। लेकिन समस्या तब होती है जब परीक्षा और उसके परिणाम का डर काफी ज्यादा बढ़ जाता है। अब हम बात करते हैं कि आखिर यह डर होता क्यों है। इस डर का सबसे अहम कारण होता है माता-पिता की अपने बेटे से अपेक्षाएं। जब छात्र को लगता है कि उसका परीक्षा परिणाम माता-पिता की अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतर पाएगा तो वह इस फोबिया (Exam Fobia) के शिकार हो जाते हैं।बचपन से ही माता-पिता अपनी अपेक्षाएं बच्चों पर थोपने लगते हैं। माता-पिता की अपेक्षाओं को पूरा करने का बच्चे प्रयास भी करते हैं। लेकिन कई बार जब उन्हें लगता है कि वत अपने पैरेंट्रस की अपेक्षाओं पर खरे नहीं उतर पाएंग तो वह डिप्रेशन (dipression) के साथ ही इस फोबिया के शिकार हो जाते हैं।
टीचर का भय
Fear Of Teacher : बच्चों के मन में इसलिए भी परीक्षा और उसके परिणाम (Exam Fobia) का भय रहता है कि उनके शिक्षक उन्हें कमजोर समझेंगे। इतना ही नहीं क्लासरूम में वह अन्य बच्चों के सामने कम अंक लाने पर उसे अपमानित करेंगे। कई बच्चे इस भय को लेकर इतने भयभीत हो जाते हैं कि यह या तो बीमार हो जाते हैं या एग्जाम फोबिया का शिकार हो जाते हैं।
दूसरों से तुलना
Comparision With Others : परीक्षा के समय और परीक्षा परिणाम को लेकर जो फोबिया आती है उसका एक कारण तुलना किए जाने का भय भी है। तुलना दूसरे बच्चों सें। यह तुलना रिश्तेदार, माता पिता, पड़ोसी किसी के द्वारा भी की जा सकती है।
क्या है उपचार
What Is Treatment : छा़त्रों के मन में परीक्षा और उसके परिणाम (Exam Fobia) को लेकिन अनावश्यक भय न आए इसकी जिम्मेदारी सबसे अधिक माता-पिता की ही होती है। इसके बाद शिक्षकों की। एक परीक्षा में असफलता यह साबित नहीं करती कि बच्चा जीवन में असफल ही होगा। यहां माता -पिता को समझना होगा और अपने बच्चों को भी समझाना होगा कि अगर परिणाम सही नहीं आया तो भी कोई बात नहीं। फिर से प्रयास करेंगे।
बच्चों को यह समझाना होगा कि बड़ी सफलता के लिए असफलता का भी सामना करना होता है। ऐसा करने पर बच्चे का आत्मविश्वास कम नहीं होगा। फिर से वह आंगे बढ़ने के लिए प्रयास करेगा। माता-पिता के बाद शिक्षकों की यह जिम्मेदारी होनी चाहिए कि असफल या कम अंक लाने वाले बच्चों को किसी से तुलना न करें। उन्हें सकरात्मक भाव से आंगे बढ़ने के लिए प्रेरित करें। हो सके तो स्कूल में काउंसलर की मदद ली जा सकती है।