Ayurvedic Treatment : बार-बार आपका बच्चा हो रहा है बीमार तो इस आयुर्वेदिक औषधि का करें इस्तेमाल, स्वर्ण भस्म से निर्मित यह दवाई है बहुत प्रभावकारी
Ayurvedic Treatment : आयुर्वेद में कई ऐसी दवाईयां है जो कि बहुत ही गुणकारी और स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत ही फायदेमंद होती है। आयुर्वेद में एक ऐसी औषधि के बारे में बताया गया है जिसके इस्तेमाल से अगर आपका बच्चा बार-बार बीमार हो रहा है तो ऐसा होना बंद हो जाएगा। मौसम में बदलाव का सबसे अधिक असर बच्चों में ही देखने को मिलता है। मौसम में परिवर्तन शुरू हुआ नहीं कि बच्चा बीमार होना शुरू हो जाता है।
Ayurvedic Treatment : सर्दी, खांसी, बुखार आदि बीमारियां की चपेट में बच्चा आ जाता है। लेकिन हम जिस औषधि की बात कर रहे हैं अगर उसे बच्चे को पिलाया जाए तो बच्चे के इस तरह से बीमार होने की संभावना कम हो जाती है। आयुर्वेद में इस औषधि को स्वर्णप्राश औषधि के नाम से जाना जाता है। अपने नाम की ही तरह इस औषधि में स्वर्णिम गुण मौजूद होते है। शासकीय आयुर्वेद अस्पताल रीवा मप्र में पदस्थ बाल्य रोग विशेषज्ञ डा. लोकेश ने हमें इस औषधि के इस्तेमाल और उपयोगिता के बारे में बताया। हम इस लेख के माध्यम से आपको स्वर्णप्राश औषधि के सेवन से होने वाले फायदों के बारे में बताएंगे।
क्या खास है इसमें
Ayurvedic Treatment : बच्चों के लिए अमृत के समान गुणकारी इस औषधि में ब्राम्ही घृत और स्वर्ण भस्म मिलाया जाता है। सबसे खास बात यह है कि आयुर्वेद अस्पताल में ही इस औषधि को बनाया जाता है। हमें बताया गया है कि इस ब्राम्ही घृत और स्वर्ण भस्म को चार प्रहर यानी कि 16 घंटे तक अच्छे से मिलाया जाता है। तब जाकर कहीं स्वर्णप्राश औषधि बनती है। इसमें काफी मेहनत और ध्यान की जरूरत होती है।
मात्रा का ध्यान रखना जरूरी
बाजार में भी स्वर्णप्राश (swarnaprashan) के नाम से कई औषधियां मिल जाएगी। लेकिन बाजार में मिलने वाली यह स्वर्णप्राश औषधि बच्चों के लिए फायदेमंद साबित होगी इसमें संशय है। क्योंकि इस औषधी की खासियत इसकी मात्रा है। विशेषज्ञों की निगरानी में इसे बनाया जाता है। ब्राम्ही घृत और स्वर्ण भस्म कितनी मात्रा में मिलाई जानी है यह महत्वपूर्ण है। जब मात्रा का ध्यान नहीं रखा जाएगा तो यह बच्चों को उतना अधिक फायदा नहीं पहुंचाएगी जितना कि पहुंचाना चाहिए।
इम्यूनिटी करती है बूस्ट
Ayurvedic Treatment : स्वर्णप्राश औषधि (swarnaprashan) बच्चों की इम्यूनिटी बूस्ट करने का काम करती है। जब बच्चों की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होगी तो बच्चों के बीमार होने की संभावना भी कम हो जाएगी। सर्दी, जुकाम, खांसी, बुखार आदि बच्चों को नहीं होगी। आपको भी बार बार बच्चे की बीमारी से होने वाली परेशानी से राहत मिलेगी।
शरीरिक और मानसिक विकास
Ayurvedic Treatment : इस औषधि में पाए जाने गुणकारी तत्वों के प्रभाव के कारण बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास काफी तेजी के साथ होता है। किसी प्रकार के मानसिक विकास के अवरूद्ध होने का खतरा कम हो जाता है।
स्मरण शक्ति होती है तेज
अगर 6 माह तक यह औषधि बच्चों को दी जाय तो इससे बच्चों की मेधा शक्ति बहुत तेज हो जाती है। आयुर्वेद की भाषा में कहे तो बच्चा शु्रतुधर हो जाता है। यानी कि एक बार कुछ सुनने पर बच्चों को वह कभी नहीं भूलता। यह इस औषधि का चमत्कारिक परिणाम ही है।
नवजात को भी दे सकते हैं
इस स्वर्णप्राश औषधि (swarnaprashan) को बच्वे के जनम के साथ ही देना शुरू किया जा सकता है। कहने का तात्पर्य यह है कि अगर बच्चा एक दिन का भी है तो उसे इस स्वर्णप्राश औषधि को दिया जा सकता है। पांच साल तक इसे बच्चे को देना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि कि पांच साल तक बच्चे की इम्यूनिटी कमजोर होती है। यही कारण है कि चिकित्सकों द्वारा पांच साल तक के बच्चों को यह औषधि दी जाती है।
माह में एक दिन
Ayurvedic Treatment आयुर्वेद अस्पताल रीवा में प्रत्येक माह के पुष्य नक्षत्र के दिन ही इस औषधि को मिलाया जाता है। आयुर्वेद के अनुसार इस दिन स्वर्णप्राश औषधि पिलाने से बच्चों को इसका फायदा अधिक मिलता है। विशेषज्ञों की माने तो माह में केवल एक दिन ही इस औषधि को जहां देना चाहिए वहीं अगर बच्वे की इम्यूनिटी ज्यादा वीक है तो इसे प्रतिदिन भी दिया जा सकता है। ध्यान देने की बात यह है कि इस औषधि को देने की शुरूआत पुष्य नक्षत्र के दिन से ही करनी है।
कश्यप संहिता में है उल्लेख
स्वर्णभस्म को बनाने का श्रेय महान कश्यम ऋषि को जाता है। इस बारे में आयुर्वेद की पुस्तक कश्यक संहिता में इसका उल्लेख किया गया है। जिसके अनुसार तकरीबन 35 सौ वर्ष पूर्व कश्यप ऋषि द्वारा इस औषधि को बनाया गया था। कश्यप संहिता में इस स्वर्णप्राश औषधि के बनाने की विधि और उपयोगिता के बारे में लिखा गया है। संहिता में औषधि के बनाने का फायदा आज के लोगों द्वारा भी उठाया जा रहा है।
दक्षिण भारत में होता है अधिकतर उपयोग
Ayurvedic Treatment : इस स्वर्णप्राश औषधि (swarnaprashan) का सर्वाधिक उपयोग दक्षिण भारत में किया जाता है। केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु सहित करीबी राज्यों में स्वर्णप्राश औषधि का चलन अधिक है। हमारे मप्र में इस औषधि का उपयोग न के बराबर किया हाता है। इसका कारण यह है कि इसकी उपयोगिता के बारे में न तो कभी किसी ने बताया और न ही किसी ने जानने का प्रयास किया। लेकिन आयुर्वेद अस्पताल रीवा में 2012 में स्थानांतरित होकर आए डा. लोकेश ने स्वर्णप्राश औषधि यहां बनानी और बच्चों को देनी षुरू की। तब से आज तक के इस 12 वर्ष के अंतराल में शायद ही कोई महीना गया हो जब यह औषधि पुश्य नक्षत्र के दिन बच्चों को न दी गई हो। इसके सकरात्मक परिणाम भी देखने को मिले हैं।
ध्यान रखने की बात
Ayurvedic Treatment : स्वर्णप्राश औषधि बच्चों के लिए बहुत ही फायदेमंद होती है। लेकिन यहां ध्यान देने की बात यह है कि बच्चों को यह दवा योग्य चिकित्सकों के मार्गदर्शन में ही देना चाहिए। क्योंकि एक चिकित्सक ही आपको बता सकता है कि बच्चे को कितनी मात्रा में, कौन सी और कब यह औषधि देनी है। उम्र के अनुसार औषधि की मात्रा बदलती रहती है।