Penile Cancer Cause – लिंग का कैंसर जानिए क्या है लक्षण और उपचार, लापरवाही पड़ सकती है भारी
penile cancer cause : कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिसे अगर किसी को हो जाय तो केवल संबंधित मरीज ही नहीं बल्कि पूरा परिवार परेशान हो जाता है। पिछले कुछ वर्षों में इस बीमारी से पीड़ित मरीजों की संख्या में इजाफा देखने को मिला है। कैंसर की बीमारी से पीड़ित कई मरीज ऐसे भी हैं जिन्होने समय पर अपना ईलाज कराया और आज वह स्वस्थ्य हैं। कैंसर के कई प्रकार भी हैं। आज हम आपको कैंसर के जिस प्रकार के बारे में बताने जा रहे हैं उसके बारे में मरीज के साथ ही अन्य लोग भी बात करने में शर्माते हैं।
penile cancer cause : हम बात कर रहे हैं लिंग के कैंसर (penile cancer) जिसे पीनियल कैंसर के नाम से भी जाना जाता है। पिछले कुछ वर्षो में लिंग के कैंसर के मरीजों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है। यह बीमारी लिंग में होती है, जिसकी वजह से इस बीमारी के बारे में बात करने से मरीज शर्म, संकोच करता है। जिसके कारण वह इस बीमारी के बारे में कसी से बात नहीं कर पाता। नेशनल कैंसर हॉस्पिटल रीवा मप्र के संचालक डा. अखिलेश पटेल ने हमें लिंग के कैंसर के बारे में विस्तार से बताया। साथ ही इस बीमारी के लक्षण (penile cancer cause) और ईलाज के बारे में जानकारी दी।
क्या है लक्षण (symptoms)
penile cancer cause : लिंग के कैंसर की पहचान यह है कि लिंग में एक गठान हो जाती है। यह गठान पूरी तरह से दर्द रहित होती है। इस गठान में किसी प्रकार का दर्द नहीं होता। शुरूआत में तो इस गठान या मस्से को सामान्य मानकर मरीज मेडिकल शॉप से किसी प्रकार का मल्हम या मेडिसिन लेकर ईलाज करता है। लेकिन अपने स्तर पर किए गए ईलाज से जब लिंग का गठान ठीक नहीं होता तो मरीज चिकित्सक के पास जाता है। चिकित्सक द्वारा बीमारी की गंभीरता को देखते हुए जांच कराई जाती है। जांच के बाद व्यक्ति को लिंग के कैंसर की पुष्टि होती है। इसके बाद षुरू होता है ईलाज की लंबी अवधि।
लिंग कैसर (penile cancer) का कारण
penile cancer cause : लिंग कैंसर के कारण के बारे में डा. अखिलेश ने बताया कि लिंग के कैसर का कारण (penile cancer cause) व्यक्ति के जीन में बदलाव होता है। इसके अलावा मानव पेपीलोमा वायरस (एचपीजी) लिंग कैंसर (penile cancer) का अहम कारण है। अधिक धूम्रपान के कारण लिंग की कोशिकाएं प्रभावित होती हैंं, जिसके कारण भी लिंग का कैसर होता है। लिंग में बार-बार होने वाले संक्रमण के कारण भी यह बीमारी होती है। संक्रमण के कारण प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है। व्यक्ति में इस बीकारी के होने का खतरा बढ़ जाता है। अधिकतर 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को इस बीमारी के होने की संभावना रहती है। लेकिन अब तो कम उम्र के लोग भी इस बीमारी से पीड़ित हैं।